चीन से तनातनी के बाद अमेरिका देगा भारत को यह खतरनाक हथियार, जिससे अमेरिका ने किया था ईरानी कमांडर सुलेमानी का खात्मा

 

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली:- पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन की बीच गतिरोध लगातार जारी है, अब तक दोनों देशों के बीच बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है। इस बीच खबर है कि भारत ने सीमा पर मौजूदा हालात को देखते हुए अमेरिका से प्रीडेटर-बी ड्रोन (Predator-B Drone) खरीदने की इच्छा जताई है, ये एक ऐसा ड्रोन है जो न सिर्फ खुफिया जानकारी देता है बल्कि किसी टारगेट पर मिसाइल और लेज़र गाइडेड बम से भी हमला कर सकता है। कहा जा रहा है कि इसी के इस्तेमाल से अमेरिका ने ईरानी कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी को किया ढेर किया था।

अमेरिका से चल रही है बातचीत:- अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक अमेरिका ने भारत को 30 सी गार्डियन बेचने की पेशकश की है, इसकी कीमत चार अरब डॉलर के आसपास है, लेकिन सीमा पर मौजूदा हालात को देखते हुए भारत को लगता है कि सर्विलांस और टारगेट पर हमला दोनों चीज़ों के लिए एक ही ड्रोन का इस्तेमाल करना बेहतर होगा। प्रीडेटर-बी ड्रोन ये दोनों काम कर सकती है, इस सौदे के लिए भारतीय नौसेना और आर्मी दोनों अमेरिका के साथ बातचीत कर रही है।

अमेरिका की दिक्कत:- कहा जा रहा है कि अमेरिका भारत को प्रीडेटर-बी ड्रोन देने को तैयार है, लेकिन अमेरिका हथियार सौदे के मसले पर इन दिनों भारत से थोड़ा नाराज है। अखबार के मुताबिक अमेरिका की नाराजगी इस बात को लेकर है कि भारत ने एस-400 मिसाइल सिस्टम रूस से क्यों खरीदा, अमेरिका को इस बात का डर है कि सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली भारत से मास्को तक पहुंचा सकता है, चीन पहले ही रूस से एस-400 मिसाइल ले चुका है।

भारत क्यों पड़ी इसकी जरूरत:- इन दिनों लद्दाख में भारत इजरायली हेरोन ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है, ये ड्रोन बिना हथियार के हैं। जबकि चीन के पास विंग लूंग II ड्रोन है, जिसमें खतरनाक हथियार लगे हैं। चीन ये ड्रोन पाकिस्तान को भी देने की तैयारी में है, पाकिस्तान वायु सेना ने 48 ड्रोन के लिए चीन के साथ करार किया है। विंग लूंग II में हवा से सतह पर मार करने वाली 12 मिसाइलें लगी है, फिलहाल लीबिया के सिविल वॉर में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।

क्या है प्रीडेटर-बी ड्रोन की खासियत:- प्रीडेटर-बी को एमक्यू-9 रीपर भी कहा जाता है, इसका इस्तेमाल अमेरिकी वायु सेना करती है, ये ड्रोन हथियारों के साथ चार लेजर गाइडेड एयर टू ग्राउंड हेलफायर मिसाइलों से लैस है, जो सटीक निशाना लगाता है और आस-पास बहुत कम नुकसान करता है। ये अपने साथ 4,760 किलो का वजन लेकर 230 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ सकता है, इस ड्रोन का इस्तेमाल निगरानी करने, तलाशी अभियान चलाने और राहत-बचाव मिशन में भी किया जाता है।