आज आपको बताएंगे अमेरिका के वह राष्ट्रपति जो चुनाव हारने के बाद भी व्हाइट हाउस नही छोड़ रहे थे, बाद में उनसे कार्यभार लेने के लिए उठानी पड़ी ये जद्दोजहद।।

 
आज आपको बताएंगे अमेरिका के वह राष्ट्रपति जो चुनाव हारने के बाद भी व्हाइट हाउस नही छोड़ रहे थे, बाद में उनसे कार्यभार लेने के लिए उठानी पड़ी ये जद्दोजहद।।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

राष्ट्रपति चुनाव अमेरिका:- कई दिनों की उठापटक के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन की जीत का रास्ता स्पष्ट हो गया है डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडन को इस चुनाव में जीत हासिल हुई है वह अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति होंगे

आज आपको अमेरिका में साल 1800 में हुए राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा बताने जा रहे है:- अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एडम्स को साल 1800 में हुए चुनाव में हार मिली थी उनके प्रतिद्वंदी थॉमस जेफ्फरसन ने जीत हासिल की लेकिन हरने के बावजूद भी जॉन ने थॉमस को कार्यभार से सौंपने से इंकार कर दिया इतना ही नहीं थॉमस के शपथ ग्रहण समारोह में भी जॉन शामिल नहीं हुए थे।

व्हाइट हॉउस न छोडने की जिद पर अड़ गए थे:- जॉन एडम्स जिद पर अड़ गए थे ऐसे में वो ना ही व्हाइट हॉउस छोड़ रहे थे और ना ही अपना कार्यभार थॉमस को सौंप रहे थे इसके बाद उनके साथ जो हुआ उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी इतना ही नहीं सारी सिक्योरिटी भी हटा दी गई।

एक परिचय:- जॉन ऐडम्स (1735-1826) प्रसिद्ध विद्वान्, सफल विधिज्ञ तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल 1797 से 1801 तक था। ये फ़ेडरलिस्ट पार्टी से थे।

जॉन ऐडम्स का जन्म:- एक जन्म 30 अक्टूबर 1735 को मेसाचूसेट्स के ब्रेनट्री नामक स्थान में हुआ। इनके पिता कृषक थे। उनके ज्येष्ठ पुत्र जॉन क्विन्सी ऐडम्स भी संयुक्त राज्य अमरीका के राष्ट्रपति हुए। जॉन ने संविधान विशेषज्ञ के रूप में अपनी समसामयिक घटनाओं को प्रभावित किया। सर्वप्रथम ह्विग दल के नेता के रूप में 1765 के स्टैंप ऐक्ट का विरोध करने में अपनी कर्मठता तथा सक्रियता का परिचय दिया। दिसंबर, 1765 में राज्यपाल तथा परिषद् के समक्ष भाषण देते हुए उन्होंने ब्रिटिश संसद् में मेसाचूसेट्स का प्रतिनिधान न होने के आधार पर स्टैंप ऐक्ट को अवैध घोषित किया। तथापि 1798 में उन्होंने बोस्टन हत्याकांड के अभियुक्त ब्रिटिश सैनिकों का पक्ष लेकर उन्हें बचाने का सफल प्रयास किया। अपनी सत्यनिष्ठा तथा न्यायप्रियता के कारण वह मेसाचूसेट्स लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए।

1785 में ऐडम्स इंग्लैंड के प्रथम राजदूत नियुक्त हुए:- क्रांति के उपरांत शांतिकाल की गंभीर स्थिति से उत्पन्न दुर्व्यवस्थाओं ने उनको रूढ़िवादी बना दिया तथापि अपनी रचना संयुक्त राज्य के संविधान के एक प्रतिवाद में वह कुलीन तंत्र के संरक्षक के रूप में प्रकट होते हैं। इस परिवर्तन का उनकी लोकप्रियता पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ा। ऐडम्स पहले संयुक्त राज्य अमरीका के उपराष्ट्रपति, फिर 1796 में राष्ट्रपति चुने गए। वे संघवादी दल के निर्माताओं में से थे। ऐडम्स के राष्ट्रपतित्व काल के चार वर्ष कुछ ऐसी जटिल और विलक्षण घटनाओं से संबद्ध रहे कि उनके भार से उनका भावी जीवन अत्यधिक विषादमय हो गया। विदेशी तथा राजद्रोह संबंधी कानूनों के पास होने से संघवादी दल को अत्यधिक विरोध और क्षति सहनी पड़ी। स्वयं दल के अंतरंग संगठन में भी पारस्परिक मतभेद तथा दलबंदी प्रारंभ हो गई।

जब ऐडम्स और हैमिल्टन एक दूसरे के विरोधी हो गए:- ऐडम्स सुयोग्य, सच्चे तथा निर्भीक व्यक्ति थे परंतु अपनी उग्र व्यावहारिकता तथा विवेकहीनता के कारण अपनी अध्यक्षता में संघवादी दल को संगठित रखने में असमर्थ रहे यहाँ तक कि इनके अपने मंत्रिमंडल के सदस्य भी ऐडम्स के बजाय हैमिल्टन को अपना नेता मानने लगे।

दुबारा मनोनयन के बाद भी हार का स्वाद चखना पड़ा:- यद्यपि 1800 में राष्ट्रपति पद के लिए उनको दोबारा मनोनीत किया गया परंतु अपने शक्तिशाली विपक्षी टामस जेफ़र्सन से उन्हें हार खानी पड़ी। अपनी पराजय से उनको गहरी पीड़ा पहुँची। तदुपरांत उन्होंने राजनीति से अपना हाथ खींच लिया और विषादपूर्ण जीवन व्यतीत करते रहे। 4 जुलाई 1826 को स्वतंत्रता की घोषणा की 50 वी वर्षगाँठ के अवसर पर क्विन्सी नामक स्थान में ऐडम्स का देहावसान हुआ।

जब चुनाव हारने के बाद भी व्हाइट हाउस न छोड़ने की जिद पर अड़े रहे और फिर उठाने पड़े यह कदम:- चुनाव हार जाने के बाद व्हाइट हाउस में जमे जॉन को मिलिट्री, CIA, FBI और व्हाइट स्टाफ ने नजरअंदाज करना शुरू कर दिया आधिकारिक तौर पर उन्होंने 4 मार्च 1801 को कार्यभार थॉमस को सौंप दिया व्हाइट हाउस के कर्मचारी अपने नए राष्ट्रपति के हिसाब के काम करना शुरू कर सकते है जनवरी से ट्रम्प की सैलरी से व्हाइट हाउस का रेट भी कटना बंद हो जाएगा।।